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समावेशी और प्रभावपूर्ण नीतियां सुनिश्चित करने के लिए डीओएसजेई ने हितधारकों और आम जनता से सुझाव आमंत्रित किए

प्रविष्टि तिथि: 01 SEP 2024 6:32PM by PIB Delhi

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग (डीओएसजेई) ने एलजीबीटीक्यूआई+ समुदाय के संबंध में समावेशी और प्रभावपूर्ण नीतियां व पहल सुनिश्चित करने के लिए हितधारकों और आम जनता से सुझाव आमंत्रित किए हैं। भारत सरकार ने इस समुदाय के संबंध में अनेक कदम उठाए हैं।

उच्‍चतम न्यायालय ने रिट याचिका संख्या 1011/2022- सुप्रियो@सुप्रिया बनाम संघ में दिनांक 17.10.2023 के अपने फैसले में कहा था कि केंद्र सरकार समलैंगिक समुदाय के अधिकारों के दायरे को परिभाषित और स्पष्ट करने के उद्देश्य से कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करेगी।

भारत सरकार ने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा समलैंगिक समुदाय के हितों की रक्षा के लिए उठाए जाने वाले कदमों की जांच करने और सिफारिशें प्रस्तुत करने के लिए दिनांक 16.4.2024 की राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया और इसमें गृह मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, विधायी विभाग के सचिवों को सदस्य तथा सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के सचिव को सदस्य संयोजक के रूप में शामिल किया गया।

समिति ने 21.5.2024 को बैठक की जिसमें राशन कार्ड जारी करने, समलैंगिक समुदाय के व्यक्तियों को नामित व्यक्ति के रूप में साथी को नामित करने का विकल्प के साथ संयुक्त बैंक खाता खोलने में सक्षम बनाने, उनकी जेंडर पहचान, यौन अभिविन्यास आदि के कारण उत्पीड़न से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि राशन कार्ड, बैंक खाते, जेल में मुलाकात संबंधी अनुरोध, कानून और व्यवस्था से जुड़े कदमों से संबंधित मुद्दों पर विस्‍तृत चर्चा करने और उन्हें अंतिम रूप देने के लिए एक उप-समिति गठित की जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि समलैंगिक समुदाय को हिंसा, उत्पीड़न या जोर-जबरदस्ती आदि खतरे का सामना न करना पड़े।

इस उप-समिति की बैठक 31.05.2024 को गृह सचिव, गृह मंत्रालय की अध्यक्षता में हुई। उप-समिति ने समलैंगिक समुदाय के साथ खास तौर कर सामाजिक कल्याण लाभ, स्वास्थ्य सेवा और सार्वजनिक वस्तुओं की सेवाओं तक उनकी पहुंच; पुलिस कार्रवाई और हिंसा आदि के संबंध में होने वाले भेदभाव को दूर करने के उपायों पर चर्चा की तथा मंत्रालयों/विभागों से जारी किए जाने के लिए एक ओएम/परामर्श तैयार करने को कहा। इसके बाद, गृह मंत्रालय ने समलैंगिक समुदाय के जेल में मुलाक़ात संबंधी अधिकारों के बारे में सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को परामर्श जारी किया तथा कानून और व्यवस्था के उपायों पर एक परामर्श जारी किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि समलैंगिक समुदाय को हिंसा, उत्पीड़न या जोर-जबरदस्ती के खतरे का सामना न करना पड़े।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने एलजीबीटीक्यूआईए + समुदाय , केंद्रीय मंत्रालयों और राज्यों के प्रतिनिधि सदस्यों के साथ 25.07.2024 को ‘एलजीबीटीक्यूआईए + मामलों पर परामर्श’ आयोजित किया। हितधारकों के साथ परामर्श के दौरान प्राप्त इनपुट/सुझावों को उनकी पड़ताल करने और आगे के कदम उठाने के लिए संबंधित मंत्रालयों/विभागों के साथ साझा किया गया है।

कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में समिति की दूसरी बैठक 22.8.2024 को हुई और मंत्रालयों/विभागों द्वारा की गई कार्रवाई की स्थिति की समीक्षा की गई तथा उन्हें समलैंगिक समुदाय से संबंधित ओएम/परामर्श तुरंत जारी करने का निर्देश दिया गया।

तदनुसार, भारत सरकार पहले ही निम्नलिखित अंतरिम कार्रवाई कर चुकी है:

i. खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डी/ओएफएंडपीडी) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक परामर्श जारी किया है, कि मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, समलैंगिक संबंधों के अंतर्गत सक्षम भागीदारों को राशन कार्ड के प्रयोजनों के लिए उसी परिवार का हिस्सा माना जाना चाहिए। इसके अलावा, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय करने के लिए कहा गया है कि समलैंगिक संबंध में भागीदारों को राशन कार्ड जारी करने में किसी भी तरह के भेदभाव का सामना न करना पड़े।

ii. वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने एक परामर्श जारी किया है कि समलैंगिक समुदाय के व्यक्तियों के लिए संयुक्त बैंक खाता खोलने तथा खाताधारक की मृत्यु की स्थिति में खाते में शेष राशि प्राप्त करने के लिए समलैंगिक संबंध में किसी व्यक्ति को नामित किए जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

iii. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों सहित सभी हितधारकों को स्वास्थ्य सेवा से संबंधित एलजीबीटीक्यूआई+ समुदाय के अधिकारों को सुनिश्चित करने, जागरूकता गतिविधियों की योजना बनाने, परिवर्तन या कन्‍वर्जन संबंधी चिकित्सा पर रोक लगाने, सेक्स रीअसाइनमेंट सर्जरी की उपलब्धता, पाठ्यक्रम में बदलाव, टेली परामर्श का प्रावधान, विभिन्न स्तरों के कर्मचारियों को संवेदनशील बनाने और प्रशिक्षण देने तथा निकट संबंधी/निकटतम रिश्तेदार/परिवार के उपलब्ध न होने पर शव का दावा करने का प्रावधान करने के उपाय करने के लिए पत्र जारी किए हैं।

iv. स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच सुनिश्चित करने और एलजीबीटीक्यूआई+ समुदाय के प्रति भेदभाव कम करने के विषय पर राज्य स्वास्थ्य विभागों और अन्य हितधारकों को पत्र जारी किया है।

v. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने जटिलताओं के बिना चिकित्सकीय रूप से सामान्य जीवन जीने के लिए यौन विकास संबंधी विकार (इंटरसेक्स) वाले शिशुओं/बच्चों में आवश्यक चिकित्सकीय हस्तक्षेप के संबंध में दिशानिर्देश तैयार किए हैं। मंत्रालय समलैंगिक समुदाय के मानसिक स्वास्थ्य/कल्याण से संबंधित समस्‍याओं के समाधान के लिए दिशानिर्देशों पर काम कर रहा है।

डीओएसजेई ने समलैंगिक समुदायों के संबंध में इसके अतिरिक्‍त किए जाने वाले उपायों के लिए लोगों को सुझाव और प्रतिक्रिया साझा करने के लिए आमंत्रित किया है। सुझाव/इनपुट निम्नलिखित ईमेल पतों पर भेजे जाने हैं: abhishek-upsc[at]gov[dot]in और mayank.b[at]gov[dot]in

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